आले एकामागून एक।
जीवनात सुख धावून।।
उजळून आले क्षण।
गेलो सुखात न्हाऊन ||धृ||
उल्हास दाटला चोहीकडे।
उजळल्या दाही दिशा।।
जगतो सुखात आता।
जडली वेगळीच नशा।।
नाही चिंता कोणाची।
घेतो मजेत जगून।।
उजळून आले क्षण।
गेलो सुखात न्हाऊन||1||
झुळझुळ नदिचे पाणी।।
गाती मधूर गाणी।
वाहतो मंद गारवा।।
सुमधूर सुर येई कानी।
धुंद करणारा निसर्ग।
क्षणात जातो भुलवून।।
उजळून आले क्षण।
गेलो सुखात न्हाऊन||2||
राहू दे असेच क्षण।
मागणे हेच आहे।।
जाऊ दे सुखात जीवन।
स्मरणे हेच आहे।।
आनंदी जगत असताना।
दु:ख जातो विसरून।।
उजळून आले क्षण।
गेलो सुखात न्हाऊन |||3||
यल्लप्पा सटवाजी कोकणे
28 ऑक्टोबर 2015
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